उपसर्ग दो शब्दों से मिलकर बना है, उप का अर्थ पास या समीप तथा सर्ग का अर्थ रचना या निर्माण या उत्पत्ति ।जो शब्दांश शब्दों से पूछ कर उनके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता ला देते हैं ,उन्हें उपसर्ग कहते हैं जैसे अभाव ,निराशा ,प्रतिकूल तथा निर्गुण।
उपसर्ग के भेद
हिंदी में चार प्रकार के उपसर्गों का प्रयोग होता है_
1.संस्कृत के उपसर्ग
2.हिंदी के उपसर्ग
3.उर्दू के उपसर्ग
4.उपसर्ग की तरह प्रयुक्त होने वाले संस्कृत अव्यय
ज़रा, यहां कुछ संस्कृत के उपसर्ग हैं जिनका प्रयोग उदाहरण सहित किया जा सकता है:
- उपसर्ग: अनु-
उदाहरण: अनुशासन (discipline) - उपसर्ग: परा-
उदाहरण: पराक्रम (bravery) - उपसर्ग: प्रति-
उदाहरण: प्रतिज्ञा (promise) - उपसर्ग: वि-
उदाहरण: विज्ञान (science)
हिंदी में कुछ उपसर्ग हैं जो शब्दों के साथ मिलकर उनके अर्थ को बदलते हैं।
- उपसर्ग: अन्-
उदाहरण: अनुशासन (discipline) - उपसर्ग: परा-
उदाहरण: परामर्श (advice) - उपसर्ग: प्रति-
उदाहरण: प्रतिज्ञा (promise) - उपसर्ग: वि-
उदाहरण: विचार (thought)
उर्दू के हिंदी उपसर्ग हैं:
- बे- (be-) – जैसे बेहोश (be-hosh)
- मुक- (muk-) – जैसे मुकरारा (mukaraara)
- तर- (tar-) – जैसे तरक्की (tarkki)
- ग़ैर- (ghair-) – जैसे ग़ैरतमाम (ghairtamaam)
- पर- (par-) – जैसे परवाह (parwah)
हिंदी उपसर्ग जो संस्कृत के अव्यय से बने हैं:
- पर – संस्कृत में “पर” अर्थात् “ऊपर” को दर्शाता है, जैसे “परवरिश”।
- अधि – संस्कृत में “अधि” का अर्थ होता है “ऊपर” या “अधिक” जैसे “अधिकार”।
- अनु – संस्कृत में “अनु” का अर्थ होता है “बाद” या “पीछे” जैसे “अनुशासन”।
- उप – संस्कृत में “उप” का अर्थ होता है “नजदीक” या “समीप” जैसे “उपयोग”।
- प्रति – संस्कृत में “प्रति” का अर्थ होता है “हर” या “प्रत्येक” जैसे “प्रतिशत”।