कुछ शब्दों के अंत में शब्दांश लगाकर नए शब्द बनाए जाते हैं। ऐसे शब्द या शब्दार्थ जो किसी शब्द के अंत में लगकर उसे शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं प्रत्यय कहलाते हैं।
उदाहरण
लड़कपन =लड़का + पन
दुकानदार =दुकान +दार
प्रत्यय के भेद
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं
1.कृत् प्रत्यय
2.तद्धित प्रत्यय
1.कृत् प्रत्यय-क्रिया के मूल रूप के साथ लगकर संज्ञा और विशेषण शब्दों का निर्माण करने वाले प्रत्यय के कृत प्रत्यय कहलाते हैं। क्या प्रत्यय के योग से बने शब्दों को कृदंत कहते हैं कृत प्रत्यय पांच प्रकार के होते हैं
कृत् वाचक -कृत वाचक प्रत्यय वे होते हैं जिनसे क्रिया के करने वाले अर्थात का बोध होता है तथा संज्ञा भी बनती है
धातू। कतृवाचक प्रत्यय। निर्मित शब्द
रख,का। वाला। रखवाला,खानेवाला
रख,मिल। हार,सार। रआखनहार,मिलनसार
2.कर्मवाचक- जिन प्रत्ययों से कर्म का बोध हो उन्हें कर्मवाचक प्रत्यय कहते हैं जैसे ना,नि,औना
3. करण वाचक- जिन प्रत्ययों से क्रिया के साधन का बोध हो, उन्हें करण वाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं जैसे आ,न, ऊं,नी आदि।
4. भाववाचक कृत प्रत्यय-जिन प्रत्यय के योग से क्रिया के व्यापार का बोध होता है उन्हें भाववाचक प्रत्यय कहते हैं।जैसे
धातु। भाववाचक कृत् प्रत्यय। निर्मित शब्द
लिख,पढ़। आई। दिखाई,पढ़ाई
बोल। ई। बोली
5.क्रिया द् योतक प्रत्यय-क्रिया द् योतक प्रत्यय वे है जिनसे क्रियोओ के समान ही भूत या वर्तमान काल के वाचक विशेषण या अव्यय बनते हैं जैसे – आ,कर,था,या
2.तद्धित् प्रत्यय-संज्ञा ,सर्वनाम ,विशेषण आदि में जुड़कर नए शब्द बनाने वाले प्रत्यक्ष तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं तद्धित् प्रत्ययों के योग से बने शब्दों को तद्धांत कहते हैं हिंदी संस्कृत तथा अरबी,-फारसी भाषा में तद्धितांत प्रत्यय का प्रयोग होता है।