“समास” को हिंदी में “समास” ही कहते हैं। यह एक व्याकरणिक टर्म है जिसका उपयोग वाक्यों के संरचना में भिन्न प्रकार के शब्दों को मिलाने के लिए किया जाता है। समास वाक्य में शब्दों के आपसी संबंध को दर्शाने में मदद करता है और उनके साथ कैसे मिलता-जुलता है।
समास की उचित परिभाषा: समास हिंदी व्याकरण में एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक शब्दों को आपस में मिलाकर एक नये शब्द का निर्माण किया जाता है, जिससे वाक्य का अर्थ स्पष्ट होता है और भाषा का सुंदरता में भी वृद्धि होती है। यह व्याकरण का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भाषा के सुधारने और व्याकरणिक संरचना को समझने में मदद करता है।
समास के भेद
1-द्वंद्व समास
2. तत्पुरुष समास
3. बहुव्रीहि समास
4. कर्मधारय समास
5. द्विगु समास
6-अव्ययीभाव समास
1-द्वंद्व समास – समास का वह रूप जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। जैसे-आजकल (आज और कल), अच्छा-बुरा (अच्छा या बुरा, अच्छा और बुरा), आगा-पीछा, नीचे-ऊपर इत्यादि।
1-दिन-रात = दिन और रात
2-काला-गोरा = काला और गोरा
3-दाल-रोटी = दाल और रोटी
4-यशापयश = यश या अपयश
5-शीतोष्ण = शीत या उष्ण
6-सुरासुर = सुर या असुर
7-देश-विदेश = देश और विदेश
8-भला-बुरा = भला और बुरा
9-धर्माधर्म = धर्म या अधर्म
2-तत्पुरुष समास –जिस सामासिक शब्द का अंतिम (उत्तर) पद प्रधान हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इसमें प्रथम पद संज्ञा या विशेषण होता है और अंतिम पद के अनुसार लिंग और वचन का निर्धारण होता है। तत्पुरुष समास में पूर्व पद और उत्तर पद के मध्य कारक चिन्हों (ने, का, की, के, के लिए, से, के द्वारा, में, पर) का लोप होता है।
उदाहरण के लिए “राजमंत्री ने दंड दिया” – इस उदाहरण में दंड देने का काम मंत्री करता है, इसलिए मंत्री प्रधान पद है और अंतिम पद भी। इसलिए राजमंत्री तत्पुरुष समास का एक उदाहरण है।
तत्पुरुष समास के भेद
1-कर्म तत्पुरुष
2-करण तत्पुरुष
३-संप्रदान तत्पुरुष
४-अपादान तत्पुरुष
- 5-संबंध तत्पुरुष
6-अधिकरण तत्पुरुष
कर्म तत्पुरुष
जिसमें कर्म कारक की विभक्ति (को) का लोप हो उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं।
करण तत्पुरुष
तत्पुरुष समास जिसमें करण कारक की विभक्ति (से) का लोप हो उसे करण तत्पुरुष समास कहते हैं।
संप्रदान तत्पुरुष
वैसे तत्पुरुष समास जिसमें संप्रदान कारक की विभक्ति (के लिए) का लोप हो उसे संप्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं।
अपादान तत्पुरुष
वैसे तत्पुरुष समास जिसमें अपादान कारक की विभक्ति (से) का लोप हो उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं।
संबंध तत्पुरुष
तत्पुरुष समास मे जिसमें संबंध कारक की विभक्ति (का, के, की) का लोप हो उसे संबंध तत्पुरुष समास कहते हैं।
अधिकरण तत्पुरुष
तत्पुरुष समास मे जिसमें अधिकरण कारक की विभक्ति (में, पर) का लोप हो उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं।
बहुव्रीहि समास -समास का वह रूप, जिसमें दो पद मिलकर तीसरा पद का निर्माण करते है, तब वह तीसरा पद प्रधान होता है, वह ही ‘बहुव्रीहि समास’ कहलाता है।बहुव्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर ‘वाला है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह‘ आदि आते है।
कर्मधारय समास – जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो तो, वह ‘कर्मधारय समास कहलाता है।
- नीलकमल – नीला है जो कमल
- पुरुषोत्तम – पुरुषों में है जो उत्तम
- परमानंद – परम है जो आनंद
द्विगु समास–वह समास जिसमें पहला पद संख्यावाचक विशेषण हो और अन्य सभी पद किसी समूह या किसी समाहार का बोध करवाते हो, उन वाक्यों को द्विगु समास कहा जाता है।
दोराहा- दो राहों का समाहार
त्रिभुज- तीन भुजाओं का समाहार
त्रिरत्न – तीन रत्नों का समूह
भुवन-त्रय – तीन भुवनों का समाहार
अव्ययीभाव समास की परिभाषा – जहाँ प्रथम पद या पूर्व पद प्रधान हो तथा समस्त पद क्रिया विशेषण अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। यदि किसी सामासिक पद में प्रथम पद उपसर्ग या अव्यय हो तो उसे भी अव्ययीभाव समास ही माना जाता है। किसी सामासिक पद में संज्ञा या अव्यय पद की पुनरावृत्ति होने पर भी अव्ययीभाव समास ही माना जाता है।
आजन्म = जन्म से लेकर
आकंठ = कंठ तक