प्रस्तावना-

हिंदी भाषा विज्ञान में, क्रिया वर्ण विभाजक शब्द है, जिसका अर्थ है “करना”। क्रिया शब्द भाषा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसके द्वारा किसी क्रिया के कर्ता, क्रिया और कर्म को व्यक्त किया जाता है। हर वाक्य में क्रिया होती है और भाषा को जीवंत बनाती है। इसलिए, इस लेख में हम क्रिया के बारे में विस्तार से जानेंगे।

क्रिया का परिभाषा-

क्रिया भाषा के उन शब्दों को कहती है, जो किसी काम, क्रिया, अवस्था या घटना को व्यक्त करते हैं। यह विशेष ढंग से उच्चारित या लिखित रूप में प्रकट होती है। आम तौर पर, क्रिया के द्वारा किसी काम के करने या होने की जानकारी मिलती है।जिस शब्द से किसी काम के करने या होने का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं । इसके मुख्य दो भेद हैं —मूल क्रिया और सहायक क्रिया। जैसे -आना ,जाना ,खाना ,पीना आदि ।

क्रिया के प्रकार-

1-सकर्मक क्रिया– जो किसी व्यक्ति या वस्तु के साथ किए जाने वाले काम को व्यक्त करती हैं, उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए: खाना खाना, घर बनाना, पत्र लिखना आदि।

2- अकर्मक क्रिया– जो किसी काम को व्यक्त नहीं करती हैं, उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरण के लिए: सोना, बैठना, खड़ा होना आदि।

क्रिया के वाक्य में प्रयोग

क्रिया वाक्य का मुख्य भाग होता है, जो एक काम को व्यक्त करता है और एक पूर्ण वाक्य के रूप में प्रस्तुत होता है। एक सामान्य क्रिया वाक्य में यह क्रिया कर्ता, क्रिया और कर्म का संरचना होता है। उदाहरण के लिए:

– राम खेलता है। (क्रिया कर्ता – राम, क्रिया – खेलना, कर

्म – खेल)

– मेघा पढ़ रही है। (क्रिया कर्ता – मेघा, क्रिया – पढ़ना, कर्म – पढ़ना)

प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के भेद :-1- प्रयोग की दृस्टि से क्रिया के पांच भेद होते हैं –

सामान्य क्रिया – जब किसी वाक्य में किसी एक क्रिया का प्रयोग हो, तो उसे सामान्य क्रिया कहते हैं।

जैसे वह गया। उसने खाया।

2 . संयुक्त क्रिया – जब एक से अधिक क्रियाओं का एक साथ प्रयोग होता है, तो उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं। इस प्रकार की क्रिया एक से अधिक धातुओं के मेल से बनती है।

3 . नामधातु क्रिया – ‘संज्ञा’ या ‘विशेषण’ शब्दों से बनी हुई क्रिया को नामधातु क्रिया कहते हैं।

जैसे – हाथ से हथियाना। गर्म से गर्माना। आदि

4 . प्रेरणार्थक क्रिया – जब किसी वाक्य का ‘कर्ता’ किसी दूसरे से काम करवाता हैं, तो उस वाक्य की क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।

जैसे – पीटना से पिटवाना। काटना से कटवाना। इस प्रकार की क्रियाओं के दो रूप बनते हैं।

5 . पूर्वकालिक क्रिया – जब कर्ता एक क्रिया को समाप्त कर, दूसरी क्रिया को करने लगता है, तो पहली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं।

जैसे – वह खाकर सोता है। इस वाक्य में ‘खाकर’ पूर्वकालिक है।

इनके अतिरिक्त क्रिया के दो और भेद है

(क) विधि क्रिया – जिस क्रिया से किसी प्रकार की आज्ञा का बोध हो, उसे विधि क्रिया कहते हैं।

जैसे – घर जा। ठहर जा। आप आइए आदि।

(ख) सहायक क्रिया – जो क्रिया मुख्य क्रिया के अर्थ को अस्पष्ट करने में सहायक होती है, उसे सहायक क्रिया कहते हैं।

जैसे -राम जाता है।

मैं पढता हूँ।

वह गया था।

हमलोग सो रहे हैं।

क्रिया भाषा का महत्वपूर्ण अंग है जो वाक्यों को जीवंत बनाता है और उनमें गतिविधियों को व्यक्त करता है। यह भाषा के निर्माण में एक महत्वपूर्ण तत्व है और हमारे वाक्य बनाने के तरीके को सुंदर बनाता है। इसलिए, हम सभी को क्रिया के महत्व को समझना चाहिए और भाषा का सही उपयोग करने की कोशिश करनी चाहिए।

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